22 करोड़ हड़पने वाले बिल्डर को ईडी ने गिरफ्तार किया जांच में नहीं दे रहा था सहयोग 

यूनियन बैंक से 22 करोड़ हड़प लेने वाले बिल्डर राजीव त्यागी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार की देर रात को गिरफ्तार कर लिया। प्रवर्तन निदेशालय के लखनऊ स्थित जोनल मुख्यालय मे लंबी चली पूछताछ के बाद यह कार्यवाही हुई है।वह जांच में सहयोग नहीं दे रहा था। इस मामले में ईडी ने उसकी संपत्तियों को जप्त कर लिया था।

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22 करोड़ हड़पने वाले बिल्डर को ईडी ने गिरफ्तार किया जांच में नहीं दे रहा था सहयोग

ED arrested the builder who embezzled 22 crores, was not cooperating in the investigation.Vishva Bharti : Ayush Pandey : UP : Lucknow Desk : Lucknow : यूपी के लखनऊ में यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया का 22 करोड रुपए हड़प लेने वाले गाजियाबाद के बिल्डर राजीव त्यागी को प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी ) ने बुधवार की रात को गिरफ्तार कर लिया।साईं कंस्ट्रक्शन एंड बिल्डर्स के संचालक राजीव त्यागी को लखनऊ में जोनल कार्यालय बुलाकर ईडी पूछताछ कर रही थी।बिल्डर जांच में सहयोग नहीं दे रहा था। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।ईडी बृहस्पतिवार को गाजियाबाद की विशेष अदालत में उसे पेश करेगी।

22 करोड़ हड़पने वाले बिल्डर को ईडी ने गिरफ्तार किया जांच में नहीं दे रहा था सहयोग

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बता दें कि ईडी पिछले 23 सितंबर को राजीव त्यागी की 14.89 करोड रुपए की संपत्ति को जप्त कर लिया था। यह संपत्तियां राजीव त्यागी और उनके बेटे अमर्त्य राज त्यागी एवं कनिष्क राज त्यागी मेसर्स एसकेटी गारमेंट प्राइवेट लिमिटेड एवं एसएस इंटरप्राइजेज के नाम से खरीदारी किए गए फ्लैट दुकान और आवासीय एवं औद्योगिक भूखंड इत्यादि की थी।

इन संपत्तियों की वर्तमान समय में बाजार की कीमत कई गुना ज्यादा है।असल में कंपनी और उसकी सहयोगी फर्मो के विरुद्ध गाजियाबाद के सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच ने,यूनियन बैंक आफ इंडिया से 22.20 करोड रुपए की धोखाधड़ी का मामला वर्ष 2022 में पंजीकृत किया था।इसी के बाद ईडी ने भी इस मामले में मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी।

यहां साईं कंस्ट्रक्शन कंपनी नोएडा का ग्रेटर नोएडा गाजियाबाद विकास प्राधिकरण एवं उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन सहित कई राजकीय विभागों का काम करती थी।कंपनी के द्वारा बैंक से अलग-अलग कार्यों के लिए 22.20 करोड़ रुपए का ऋण लिया गया था।

इस लोन के बदले में कंपनी में कई संपत्तियों को बैंक के पास बंधक रख दिया था।लेकिन बैंक के जांच करने पर पता चला कि यह संपत्तियां बहुत पहले दूसरे बैंकों के पास बंधक रख दी गई थी।इन्हीं संपत्तियों का फर्जी दस्तावेज तैयार करके यूनियन बैंक के पास भी गिरवी रखा गया।

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