कुत्ते की डायलिसिस कराने डॉक्टर ने रेफर किया लखनऊ खर्च हुई सारी जमा पूंजी
कुत्ते की किडनी में समस्या आ गई।डायलिसिस के लिए चरगांवा के एक पेट क्लिनिक के चिकित्सक ने उसे लखनऊ रेफर किया। गोरखपुर मे पहली बार है जब किसी कुत्ते को डायलिसिस के लिए लखनऊ रेफर किया गया है।
कुत्ते की डायलिसिस कराने डॉक्टर ने रेफर किया लखनऊ खर्च हुई सारी जमा पूंजी
“The doctor referred the dog to Lucknow for dialysis, all the savings were spent. Vishva Bharti : Akhilesh Rai : Gorakhpur : गोरखपुर में पहली बार कुत्ते की किडनी की बीमारी को ठीक कराने के लिए डायलिसिस कराने चरगांवा के एक पेट चिकित्सक ने लखनऊ रेफर किया है।महीने में 20-25 हजार रुपए कमाने वाले बांसगांव के बालचंद को अपने कुत्ते से इतना अधिक प्यार है कि उन्होंने सारी जमा पूंजी 40 हजार रूपये अपने कुत्ते के इलाज में खर्च कर दिया।
कुत्ते की डायलिसिस कराने डॉक्टर ने रेफर किया लखनऊ खर्च हुई सारी जमा पूंजी
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कुत्ते की डायलिसिस कराने डॉक्टर ने रेफर किया लखनऊ, बालचंद ने कुत्ते की किडनी में रोग होने पर उसे चरगांवा स्थित एक पेट क्लिनिक के चिकित्सक से इलाज हेतु लेकर गए।डॉक्टर ने कुत्ते की किडनी के इलाज के लिए उन्हें डायलिसिस की सलाह दी और उसको लखनऊ रेफर कर दिया।
गोरखपुर में यह पहली बार हुआ है जब किसी कुत्ते की डायलिसिस के लिए उसे लखनऊ रेफर किया गया है। कुत्ते के पालक बालचंद का कहना है कि उनका कुत्ता “काजू”उनके लिए परिवार के एक सदस्य के समान है।
कुत्ते का इलाज करने वाले गोरखपुर के पशु चिकित्सक डॉ हरेंद्र चौरसिया ने कहा कि इस समय कुत्ते में किडनी की बीमारी अधिकतर हो रही है प्रतिदिन 6 से 7 कुत्ते किडनी की बीमारी से ग्रसित होकर यहां आ रहे हैं।उन्होंने बताया कि उन्हीं कुत्तों में से एक कुत्ते को डायलिसिस के लिए लखनऊ भेजना पड़ गया।कुत्ते का क्रिटनिन लेवल 12 से अधिक हो गया था। लेकिन अब वह स्वस्थ हो गया है।
डॉक्टर चौरसिया ने बताया कि पालतू डॉग में रीनल फेल्योर बड़ी तेजी से बढ़े हैं।लेकिन डायलिसिस उनके लिए वरदान साबित हो रहा है।डॉक्टर ने कहा कि अगर रीनल फेल्योर का शुरुआत में ही पता चल जाता है तो 80 प्रतिशत कुत्तों की किडनी डायलिसिस के जरिए ठीक कर ली जाती है।
उन्होंने बताया कि पुराने मामलों में किडनी बचाने का यह प्रतिशत 30 से 40 ही था। क्रॉनिक रीनल फेल्योर की बीमारी से कुत्ते अधिकतर बुढ़ापे में ग्रसित हो जाते हैं।वहीं एक्यूट रीनल फेल्योर कुत्ते के किसी भी उम्र में अचानक पता चल पाता है।अधिकांश लोगों ने डायलिसिस के लिए कुत्ते की कीमत से अधिक पैसा खर्च कर दिया है।
पशु चिकित्सा विशेषज्ञ डॉक्टर हरेंद्र चौरसिया के अनुसार कुत्तों में क्रॉनिक रीनल फेल्योर और एक्यूट रीनल फेल्योर की बीमारी लगातार बढ़ रही है।लेकिन डायलिसिस कुत्तों के जीवन को बचाने के लिए वरदान साबित हो रहा है। जिन कुत्तों को डायलिसिस के लिए भेजा गया है।ऐसे मामलों में अधिकतर पालकों की लापरवाही सामने आई है।इसके लिए 10 से 20 हजार रूपये का खर्च आ जाता है।अगर समय रहते इसका पता चल जाता है तो कुत्ते के जीवन की रक्षा की जा सकती है।
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