- प्रयागराज में सांस्कृतिक संध्या का भव्य आयोजन, लोकनृत्य में दिखी भारतीय संस्कृति की झलक
विजय कुमार पटेल : प्रयागराज। संगम नगरी प्रयागराज में सांस्कृतिक कुंभ के अंतर्गत आयोजित सांस्कृतिक संध्या में देशभर के लोकनृत्यों और शास्त्रीय प्रस्तुतियों की झलक देखने को मिली। इस आयोजन में देश के कोने-कोने से आए कलाकारों ने अपनी अद्भुत प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
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कथक से रामचरितमानस की जीवंत प्रस्तुति को सभी ने खूब सराहा। सांस्कृतिक संध्या का मुख्य आकर्षण रहा बनारस घराने के प्रख्यात कथक नृत्यांगक अनुज मिश्रा एवं उनके दल का शास्त्रीय नृत्य रहा। उन्होंने तुलसीदास रचित रामचरितमानस के कुश-लव प्रसंग को अपनी भावपूर्ण नृत्य शैली के माध्यम से प्रस्तुत किया। अनुज मिश्रा, जो “उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार” से सम्मानित हैं, ने अपनी प्रस्तुति में भावनात्मक अभिव्यक्ति और लयबद्ध गतियों से भगवान श्रीराम की गाथा को जीवंत कर दिया। दर्शकों ने इस अनूठी प्रस्तुति को खूब सराहा और तालियों से कलाकारों का हौसला बढ़ाया।
भजन से शुरू हुआ कार्यक्रम
कार्यक्रम की शुरुआत प्रसिद्ध गायक प्रेम प्रकाश दुबे के भजनों से हुई। उन्होंने *मंगल भवन अमंगल हारी* और *प्रयाग नगरी बसे संगम के तीरे* जैसे भजनों से श्रोताओं को भक्तिभाव से जोड़ दिया। भजन संध्या के बाद लोकनृत्यों की रंगारंग प्रस्तुतियां शुरू हुईं।
दिखी बंगाल, उड़ीसा, हरियाणा एवं तेलंगाना संस्कृति की झलक
- – पश्चिम बंगाल से आए महेश दास ने अपनी सधी हुई आवाज में ‘बाउल गायन’ प्रस्तुत किया।
- – उड़ीसा के बलराम रेड्डी एवं उनके दल ने शानदार ‘शंख वादन’ किया, जिसने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
- – इसके बाद शिव एवं उनके साथियों ने वीरता और शक्ति का प्रतीक ‘पाईका नृत्य’ प्रस्तुत किया।
- – हरियाणा के मनोज झाले ने पारंपरिक ‘फाग नृत्य’ से होली के रंगों की छटा बिखेरी।
- – राजस्थान से प्रेम प्रकाश मेघवाल और उनके दल ने रोमांचक ‘भवाई नृत्य’ प्रस्तुत किया।
- – तेलंगाना से धर काटले ने पारंपरिक ‘खुम्भकोया नृत्य’ की प्रस्तुति दी, जिसने दर्शकों को तेलंगाना की जनजातीय संस्कृति से परिचित कराया।
उत्तर भारत और पूर्वोत्तर की अनोखी प्रस्तुतियों ने सभी का मन मोहा
हिमाचल प्रदेश के कुलदीप गुलेरिया ने वहां के प्रसिद्ध “लुड्डी नृत्य” से समां बांधा। जबकि असम से आई सीमा साईका एवं उनके दल ने वहां का प्रसिद्ध “जेंग बिहू नृत्य” पेश किया। उड़ीसा के कलाकारों ने अपने पारंपरिक “गुबकुडू लोकनृत्य” की शानदार प्रस्तुति देकर समां बांध दिया। वहीं सायन बिस्वास ने “गोकुल की रासलीला” का अद्भुत मंचन किया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।
इस भव्य आयोजन में केंद्र के प्रभारी निदेशक आशिस गिरि सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। दर्शकों ने इन प्रस्तुतियों को देखकर भारतीय संस्कृति की समृद्धता को महसूस किया और कलाकारों की प्रतिभा को खुले दिल से सराहा। इस आयोजन ने सांस्कृतिक एकता और विविधता का संदेश दिया, जिससे दर्शकों में भारतीय परंपराओं के प्रति गर्व की भावना जागी।
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