चार नाबालिक बेटियों की एक ही मंडप में शादी करवाने की पिता की तैयारी धरी की धरी रह गई 

करौली में एक पिता की अपनी चार नाबालिग बेटियों की एक ही मंडप में एक ही दिन शादी करवाने की सारी तैयारियां धरी की धरी रह गई। उसका प्लान फेल हो गया। विवाह के सात दिन पहले उसकी एक बेटी ने बगावत कर दिया। उसने अपने अध्यापक से इसकी शिकायत कर दी।फिर एनजीओ वालों ने शादी रुकवा दी।

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चार नाबालिक बेटियों की एक ही मंडप में शादी करवाने की पिता की तैयारी धरी की धरी रह गई

अध्यापक ने लड़की को एनजीओ के पास भेज दिया

लड़की ने एनजीओ के प्रतिनिधियों से अपनी आपबीती बताई

एनजीओ ने लड़की के पिता को दिलवाई नौकरी

Father’s preparation to get four minor daughters married in the same pavilion goes in vain .Vishva Bharti : Ramkumar Singh : Delhi Desk : Rajsthan : Karauli : राजस्थान के करौली मे एक पिता अपनी चार नाबालिग बेटियों की शादी एक ही मंडप में एक ही दिन करवाने की ठान ली। इसके लिए उसने सारी तैयारियां पूरी कर ली।फिर शादी से सात दिन पहले उसकी एक बेटी ने इस शादी का विरोध कर दिया और वह अपने अध्यापक के बताने पर अपनी सहेली के साथ एक एनजीओ के पास पहुंच गई।लड़की ने एनजीओ वालों से सहायता की मांग की। इसके बाद एनजीओ वाले लड़की के पिता के पास उसके घर पहुंचे।

चार नाबालिक बेटियों की एक ही मंडप में शादी करवाने की पिता की तैयारी धरी की धरी रह गई

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बता दें कि एनजीओ वालों को लड़कियों के पिता ने बताया कि वह बेरोजगार है।उसके पास लड़कियों की शादी करने के लिए इतना पैसा नहीं है कि वह चारों लड़कियों की अलग-अलग शादी कर सके।इसीलिए जब उसके 17 साल की लड़की का रिश्ता तय हो गया तो उसने यह निर्णय लिया कि वह चारों लड़कियों की शादी एक ही साथ एक ही मंडप मे एक ही दिन में कर देगा।इसके लिए उसने दूल्हे को भी ढूंढ लिया। जिससे वह ऐसा कर सके और एक ही पैसे में चारों लड़कियों की शादी हो जाए। एवं अधिक पैसा भी न खर्च हो।

आपको बता दें कि एनजीओ वालों ने पिता की मजबूरी को समझा और सबसे पहले उसे शादी न करने के लिए मनाया।इसके बाद एनजीओ वालों ने पिता को नौकरी दिलवा दी। इसके बाद चारों लड़कियों फिर से स्कूल जाना शुरू कर दिया।नाबालिग लड़कियों ने शादी टूट जाने पर खुशी का इजहार किया।

बताते चलें कि यह मामला करौली जिले में एक गांव का है। यहां बेरोजगारी और कर्ज के बोझ से दबे हुए तुलाराम अपनी चारों नाबालिग लड़कियों की शादी एक ही दिन कर देना चाहते थे।सूत्रों ने बताया कि उसके नाबालिग बेटियों की उम्र 17,15,14 और 13 वर्ष बताई जा रही है। उसने बड़ी बेटी के लिए एक लड़के से रिश्ता भी तय कर दिया था और तीनों अन्य बेटियों के लिए भी रिश्ता ढूंढ रखा था।उसकी समझ में था कि एक ही दिन शादी कर देने से उसका तीन बेटियों की शादी का खर्चा बच जाएगा।

बता दें कि चारों लड़कियों स्कूल में पढ़ाई कर रही हैं और वह अपनी शिक्षा आगे भी जारी रखना चाहती थीं।फिर भी उनके पिता गरीबी और लाचारी के कारण उन सभी की एक साथ शादी कर देना चाहते थे।उनके पास इसके अलावा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं था। लेकिन इसी बीच उसकी 15 साल की दूसरी बेटी ने बगावत करते हुए शादी करने से मना कर दिया और अध्यापक को अपनी समस्या बताई। इसके बाद अध्यापक के बताने पर वह एनजीओ के पास चली गई।

अध्यापक ने लड़की को एनजीओ के पास भेज दिया

15 साल की उसकी लड़की ने अपने टीचर को शादी की बात बताई और कहा कि वह अभी पढ़ना चाहती है।शादी नहीं करना चाहती। इस पर उसके अध्यापक ने उसे एक एनजीओ के पास भेज दिया।लड़की ग्रामराज्य विकास एवं प्रशिक्षण संस्थान एनजीओ के प्रतिनिधियों को फोन करके सारी बात बताई तो एनजीओ ने उसे ऑफिस में पहुंचने के लिए कहा। एनजीओ वालों को एहसास हुआ की लड़की शादी होने से बहुत परेशान और सहायता की जरूरत है।

लड़की ने एनजीओ के प्रतिनिधियों से अपनी आपबीती बताई

लड़की ने एनजीओ के प्रतिनिधियों को सारी बात बताई। इसके बाद संस्थान के निदेशक ने लड़की से कहा कि उसके यहां आने के बारे में किसी को भी जानकारी नहीं होगी।किसी को यह पता भी नहीं चलेगा कि उसने इसके बारे में उनको बताया है। फिर चाइल्ड लाइन के अधिकारियों के साथ संस्थान के सदस्यों ने लड़की के माता-पिता से मिलकर चारों नाबालिग लड़कियों की शादी की बात पूछी। पहले तो लड़की के माता-पिता ने शादी करने की बात से इनकार कर दिया।लेकिन लड़की ने सामने आकर अपने माता-पिता के समक्ष ही अधिकारियों को बताया कि चारों लड़कियों की शादियां तय हो चुकी हैं और एक सप्ताह से भी कम समय में सभी की शादियां हो जाएगी।

एनजीओ ने लड़की के पिता को दिलवाई नौकरी

पिता के सामने ही लड़की के द्वारा सारी सच्चाई चाइल्ड लाइन के अधिकारियों को बताने पर मामले का खुलासा हो गया। इसके बाद लड़की के माता-पिता ने अपनी मजबूरी बताई। इस पर एनजीओ की टीम ने तुलाराम को बाल विवाह के कानूनी और सामाजिक प्रभाव के विषय में समझाया।फिर उनसे एक शपथ पत्र पर दस्तख़त करवाया कि वह अपनी लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में नहीं करेंगे।इसके बाद तुलाराम की चारों लड़कियां स्कूल जाने लगीं और संस्थान ने तुलाराम को नौकरी दिलाने में मदद की।

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