मतांतरण से वोटिंग पैटर्न बदलने की कोशिश में लगीं ईसाई मिशनरियां सुरक्षा एजेंसियों ने केंद्र को भेजी रिपोर्ट 

यूपी में ईसाई मिशनरिया मतांतरण कराने के साथ-साथ वोटिंग पैटर्न बदलने की कोशिश में जुटी हुई है।अयोध्या सहित यूपी के कई जिलों में यह सक्रिय हैं।इन्होने यहां अपनी गहरी पैठ बना ली है।सुरक्षा एजेंसियों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी अपनी रिपोर्ट में इनके तौर तरीकों पर सचेत किया है।

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मतांतरण से वोटिंग पैटर्न बदलने की कोशिश में लगीं ईसाई मिशनरियां सुरक्षा एजेंसियों ने केंद्र को भेजी रिपोर्ट

अयोध्या सहित यूपी के कई जिलों में ईसाई मिशनरियां मतांतरण कराने में सक्रिय यूपी के कई जिलों में गहरी पैठ बनायी

Christian missionaries are trying to change the voting pattern through religious conversion. Security agencies sent report to the Centre.Vishva Bharti : Editor Pic : Vijay Kumar Patel : Lucknow Desk : Lucknow : यूपी में ईसाई मिशनरिया मतांतरण कराने के साथ-साथ वोटिंग पैटर्न बदलने की कोशिश में जुटी हुई हैं।अयोध्या सहित यूपी के कई जिलों में यह सक्रिय हैं।यहां अपनी गहरी पैठ बना ली है।सुरक्षा एजेंसियों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी अपनी रिपोर्ट में इनके तौर तरीकों पर सचेत किया है।बता दें कि ईसाई मिशनरियां अयोध्या,लखनऊ,बाराबंकी,सीतापुर बलरामपुर श्रावस्ती,गोंडा और बहराइच में बड़ी तेजी से मतांतरण करा रही हैं।इसके साथ-साथ वह यहां वोटिंग पैटर्न बदलने की भी कोशिश कर रही हैं।

मतांतरण से वोटिंग पैटर्न बदलने की कोशिश में लगीं ईसाई मिशनरियां सुरक्षा एजेंसियों ने केंद्र को भेजी रिपोर्ट

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ईसाई मिशनरियों ने अवध क्षेत्र में नेपाल के मधेशी मतांतरण के मॉडल को अपनाया हुआ है।वह यहां मतांतरण के साथ-साथ वोटिंग पैटर्न को बदलने के कार्य में भी लगी हुई हैं। आने वाले चुनाव में नेपाल के मधेश पर सफल इस रणनीति को यहां प्रयोग किया जा सकता है। सुरक्षा एजेंसियों के द्वारा ऐसी आशंका जताई गई है। ईसाई मिशनरियां अयोध्या, बहराइच सीतापुर,बाराबंकी सुल्तानपुर, अंबेडकरनगर,गोंडा श्रावस्ती,बलरामपुर इन क्षेत्रों में बड़ी तेजी से मतांतरण का कार्य कर रही हैं।इसके साथ-साथ वोटिंग पैटर्न को भी बदलने के काम में लगी हुई हैं।

सुरक्षा एजेंसियों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी अपनी रिपोर्ट में मिशनरियों के तौर तरीकों पर सचेत किया है। लखनऊ में एक मशहूर पब्लिशिंग हाउस की गतिविधियों को भी संदिग्ध माना है।इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि यहां कोरियन पास्टरों को मतांतरण के कार्य में लगाया गया है।यह पंजाब के जालंधर व बंगलुरु मे इनके लिए मजबूत कड़ी बन गए हैं।यहां अमेरिका,साउथ कोरिया व ब्राजील से मिले फंड को खर्च किया जा रहा है।यहां मतांतरण के लिए ईसाई मिशनरियों के शिकार गरीब,दलित,असहाय,रायसिख समाज व सीमावर्ती थारू जनजाति हैं।अवध क्षेत्र में मतांतरण के जो मामले निकल कर सामने आए हैं। उनमें इन्हीं की सबसे अधिक भागीदारी है।

चंगाई को महिमा मंडित किया जा रहा

आपको बता दें कि सीतापुर में (बदला हुआ नाम )रामकृष्ण जो पहले हिंदू थे उन्होंने दो वर्ष पूर्व ईसाई धर्म को अपना लिया। (बदले हुए नाम ) रामकृष्ण ने बताया कि बाइबल पढ़ने के बाद उनके जीवन में बड़ा परिवर्तन आया है। उनकी आर्थिक स्थिति भी सही हो गई है। वहीं उनका स्वास्थ्य भी अब अच्छा रहने लगा है। इसी चमत्कार से वह ईसाई बन गए हैं।इसी तरह की कुछ कहानी अयोध्या क्षेत्र के बदले हुए नाम बंटी की भी पाई गई है।यह ऐसे ईसाई बने हैं।जिन्होंने कुछ वर्षों के भीतर चमत्कार से चंगाई हासिल करने के बाद धर्म परिवर्तन कर लिया है।

धर्म को बदला जा रहा है लेकिन नाम नहीं

सीतापुर के मतांतरण के मामले में आरोपित बनाए गए गिरफ्तार पादरी डैनविल का कहना है कि वह धर्म परिवर्तन की जगह हृदय परिवर्तन के प्रयास पर जोर देते हैं।उन्होंने बताया कि उनके अनुयाई दस्तावेज पर हिंदू ही बने रहते हैं। मतांतरण कर लेने के बाद भी वह अपना नाम नहीं बदलते।इस वजह से वह अपने समाज में ही बने रहते हैं।वहां से कटते नहीं।फिर वह धीरे-धीरे ईसा मसीह के अनुयाई हो जाते हैं।इस प्रकार उन्हें धर्म परिवर्तन कर लेने की घोषणा नहीं करनी पड़ती।फिर वह कानूनी कार्रवाई से भी बचे रहते हैं।

मत्तांतरण के बाद महिलाएं अपना पहनावा बदल रहीं

मतांतरण कर लेने वाले हिंदू परिवारों के पुरुषों की वेशभूषा तो पहले जैसी बनी रहती है। लेकिन महिलाओं में बड़ा परिवर्तन देखा जा सकता है। महिलाएं सौभाग्य की निशानी बिंदी, चूड़ी के साथ सिंदूर लगाना सब छोड़ दिया है।

चमत्कार का असली राज क्या है

चंगाई सभा के आयोजन में मरीजों और उनके परिवार के लोगों को अपने प्रभाव में लेने के लिए उपचार में हाई पावर एंटीबायोटिक और स्टेरॉयड का सेवन कराया जा रहा है। इससे वह बहुत जल्दी स्वस्थ हो जा रहे हैं।इसे ही चमत्कार बताया जा रहा है। ईसाई धर्म का गुड़गान किया जाता है।विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि इस प्रयोग से मरीज को तुरंत फायदा मिलता है।फिर इसका दुष्परिणाम बाद में होता है।इससे ग्लूकोमा,मोतियाबिंद और प्रतिरक्षा में कमी,हड्डियों में बदलाव,मांसपेशियों की कमजोरी इत्यादि बीमारियां आ जाती हैं।

क्या है ईसाई मिशनरियों का मधेश मॉडल

नेपाल में 1951 तक कोई भी ईसाई नहीं था। 1961 मे यह 458 हो गए।वहीं 2011 में इनकी संख्या 3.76 लाख पहुंच गई। नेपाल में वर्तमान समय के आंकड़ों में 6.5 लाख ईसाई हो गए हैं।नेशनल क्रिश्चियन कम्युनिटी के सर्वे के आंकड़ों में हिंदू बहुल देश मे 7859 चर्च हैं। सबसे ज्यादा चर्च और इनकी आबादी भारत से मिले हुए मधेश क्षेत्र में ही पाई जा रही है। यहां ईसाई बनाने की जिम्मेदारी कोरियाई पास्टर संभाले हुए हैं।

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