पंपिंग बाघ अब तक पांच से अधिक किसानों को बना चुका निवाला जंगल में छोड़ने के चांस बहुत कम 

पंपिंग सेट की जगह घात लगाकर बैठे-बैठे किसानों के इंजन बंद करने की प्रतीक्षा करता था बाघ।फिर किसान जैसे ही इंजन बंद करने को आते वह उन पर हमला कर अपना निवाला बना लेता था।फिर जंगल वापस लौट जाता था। इसके जंगल में छोड़ने के चांस बहुत कम हैं।शातिर इतना की पीलीभीत टाइगर रिजर्व की टीम उसे पकड़ नहीं पाती थी।किसी तरह उसे ट्रेंकुलाइज करके वन विभाग ने पकड़ा,और गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान में छोड़ा गया है जहां वह मेहमान है।

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पंपिंग बाघ अब तक पांच से अधिक किसानों को बना चुका निवाला जंगल में छोड़ने के चांस बहुत कम 

पंपिंग सेट की जगह घात लगा बैठकर बाघ ने अब तक पांच लोगों से अधिक को अपना निवाला बनाया

Pumping tiger has already turned into a morsel of more than five farmers, chances of leaving it in the forest are very less.Vishva Bharti : Dinesh Chandra Mishra : UP : Lucknow Desk : Gorakhpur : यूपी के पीलीभीत में यहां के टाइगर रिजर्व प्रशासन ने इस चालाक बाघ का नाम पंपिंग बाघ रखा है।क्योंकि यह बाघ पंपिंग सेट चलने के बाद उसको बंद करने के लिए किसान के आने का इंतजार करता था,और जैसे ही किसान इंजन बंद करने आता था बाघ के द्वारा झपट्टा मार कर उस किसान को अपने पंजे में दबोच लेता था।फिर उसे अपना निवाला बना लेता था। इस बाघ के जंगल में छोड़ने के चांस बहुत कम है। यही नहीं बाघ इस क्षेत्र में पहले पंपिंग सेट चलने की रेकी करता था और जहां भी पंपिंग सेट चलता हुआ उसे मिल जाता था उस जगह पर बैठे-बैठे किसान के उसका इंजन बंद करने के लिए आने का इंतजार करता था।यह बाघ शिकार कर लेने के बाद जंगल मे फिर से वापस लौट जाता था।इसीलिए वन विभाग की टीम उसे पकड़ नहीं पाती थी। किसी तरह इस बाघ को वन विभाग की टीम ने ट्रेंकुलाइज करके उसे बेहोश किया।यह बाघ पीलीभीत में अब तक पांच लोगों को अपना निवाला बना चुका है।इसीलिए पीलीभीत टाइगर रिजर्व प्रशासन ने उसका नाम पंपिंग बाघ रख दिया है

पंपिंग बाघ अब तक पांच से अधिक किसानों को बना चुका निवाला जंगल में छोड़ने के चांस बहुत कम 

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करीब एक माह से अधिक समय से वह गोरखपुर में चिड़ियाघर का मेहमान है

बता दें कि इस समय यह बाघ करीब एक माह से गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्ला खान प्राणी उद्यान में मेहमान है।उसे यहां गोरखपुर के चिड़ियाघर में क्वॉरेंटीन करके रखा गया है। विशेषज्ञ उसके स्वभाव पर नजर बनाए हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह जंगल में रहने के लायक नहीं है।फिलहाल विशेषज्ञों की टीम की उस पर नजर है।आने वाले समय में यह निर्णय लिया जाएगा कि उसे चिड़ियाघर में ही रखा जाए या जंगल में छोड़ दें।

बाघ बहुत चालाकी से अपना शिकार करता था किसी तरह उसको पकड़ने में सफलता मिली

सूत्र बताते हैं कि इस बाघ ने पीलीभीत में पंपिंग सेट से सिंचाई कर रहे किसानों पर बड़ी चालाकी से उनकी रेकी की और शिकार मिलने पर वहां बैठे-बैठे पंपिंग सेट बंद करने के लिए इंतजार किया।फिर किसान के आने पर हमला करके इस तरह उसने पांच से अधिक किसानों को अपना निवाला बनाया।इस बाघ की यह खासियत थी कि शिकार करने के बाद वह तत्काल जंगल वापस चला जाता था।इस बाघ को पकड़ने के लिए पीलीभीत में टाइगर रिजर्व और वन विभाग की संयुक्त टीम ने कई प्रयास किया।कई बार वहां जाल लगाया लेकिन इसके अत्यधिक चालक होने के कारण टीम को सफलता नहीं मिल सकी। लेकिन यहां पीलीभीत में जब हालात काबू से बाहर हो गए तो किसी तरह उसे ट्रेंकुलाइज कर बेहोश किया गया। फिर उसका रेस्क्यू किया।अब एक माह से ज्यादा समय हो गए हैं।वह गोरखपुर के चिड़ियाघर में क्वॉरेंटीन करके रखा गया है।

बाघ को जंगल में छोड़ने के चांस बहुत कम

इस चालाक बाघ को जंगल में वापस छोड़ने के चांस बहुत कम है।बाघ की चालाकी भरे स्वभाव को देखते हुए इसके लिए चार सदस्यों की एक कमेटी तैयार की गई है।जो बाघ के स्वभाव पर बराबर नजर रख रही है।सूत्र बताते हैं कि कमेटी के सदस्य असमंजस में हैं।वह फैसला नहीं कर पा रहे हैं कि इस चालाक बाघ को जंगल में छोड़ा जाए या फिर चिड़ियाघर में ही रखा जाए।

चिड़ियाघर में रह रहे बाघों से अधिक ताकतवर और शक्तिशाली है यह बाघ

गोरखपुर के चिड़ियाघर में जहां इस शातिर बाघ को भेजा गया है।वहां पहले से ही बाघ अमर और सफेद बाघिन गीता रह रहे हैं।यहां पीलीभीत से लाए गए इस बाघ की कद काठी उनसे बहुत अधिक है।उसका वजन भी बाघ अमर और गीता के वजन से 90 किलो ज्यादा है।विशेषज्ञ का कहना है कि प्रदेश में दूसरा कोई बाघ पीलीभीत से आए हुए इस बाघ जैसा नहीं है।वहीं यह पूरी तरह से जंगली है। इसको अपना शिकार करना बहुत अच्छी तरह से आता है।

इस बाघ को लेकर क्या कहा पशु चिकित्सा अधिकारी ने

गोरखपुर में चिड़ियाघर के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर योगेश प्रताप सिंह ने बताया है कि पीलीभीत से आए हुए इस बाघ के स्वभाव का यहां विशेष अध्ययन हो रहा है।उसे जंगल में छोड़ा जाए या नहीं इसको लेकर यहां असमंजस बना हुआ है।इस पर कमेटी निर्णय लेगी।वैसे अभी इसको क्वॉरेंटीन सेल में रखा गया है।यहां यह बाघ बिल्कुल स्वस्थ है।

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