56 वर्षों बाद जब शहीद सैनिक मलखान का शव घर पहुंचा पत्नी 32 साल प्रतीक्षा कर दम तोड़ चुकी थी
सियाचिन के मोर्चे पर 1968 में प्लेन क्रैश होने मे शहीद हुए सहारनपुर के नानौता के रहने वाले मलखान सिंह का शव 56 वर्षों बाद जब उनके घर पहुंचा।पत्नी 32 सालों तक प्रतीक्षा करने के बाद दम तोड़ चुकी थी।मलखान सिंह के शव के पहुंचते ही गांव में हजारों लोगों का हुजूम,उनको देखने पहुंच गया।सभी लोगों के शहीद के दर्शन करने के बाद,सैन्य सम्मान देकर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
अनिल बाजपेयी
सीईओ फाउंडर एंड ग्रुप एडिटर
56 वर्षों बाद जब शहीद सैनिक मलखान का शव घर पहुंचा पत्नी 32 साल प्रतीक्षा कर दम तोड़ चुकी थी
शहीद के दर्जा के लिए ग्रामीणों ने हंगामा किया फिर सेना के अधिकारियों ने बताया कि शहीद का दर्जा मिला है तभी अंतेष्टी हो पाई
गांव से लेकर हाइवे तक शहीद के सम्मान में खड़े हो गए थे ग्रामीण
56 वर्षों बाद मिला शव फिर भी 23 साल जैसे दिख रहे थे मलखान सिंह
When the body of martyred soldier Malkhan reached home after 56 years, his wife had died after waiting for 32 years.Vishva Bharti : Editor Pic : UP : Lucknow Desk : Saharanpur : सियाचिन के मोर्चे पर 1968 में प्लेन क्रैश हुआ था।इसमें शहीद हुए सहारनपुर के नानौता के रहने वाले मलखान सिंह का शव 56 वर्षों बाद उनके घर पहुंचा।तब तक उनकी पत्नी 32 सालों की प्रतीक्षा करके दम तोड़ चुकी थीं।सैनिक मलखान सिंह का शव गांव में पहुंचते ही वहां हजारों लोगों का हुजूम,उनके दर्शन करने के लिए इकट्ठा हो गया। वहां सभी लोगों ने शहीद हुए सैनिक के दर्शन किए।उसके बाद सैन्य सामान देकर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
56 वर्षों बाद जब शहीद सैनिक मलखान का शव घर पहुंचा पत्नी 32 साल प्रतीक्षा कर दम तोड़ चुकी थी
यह भी पढ़ें : दीपावली में युवती की बारात आने वाली थी मंगेतर से कमरे में बात की और फंदे से लटक गई
56 वर्षों बाद जब शहीद सैनिक मलखान का शव घर पहुंचा,आपको बता दें कि,सहारनपुर के कस्बा नानौता के गांव फतेहपुर में रहने वाले मलखान सिंह पुत्र रामदिया वायु सेना में सेवा दे रहे थे।वर्ष 1968 में सियाचिन ग्लेशियर के मोर्चे पर उनका प्लेन क्रैश हो गया था।लेकिन उनका कोई सुराग नहीं मिल पाया था।56 वर्ष बीत गए फिर उनके शव को सेना के जवान पहले चंडीगढ़ लेकर आए।फिर वहां से सरसावा वायु स्टेशन पहुंचे। इसके बाद सड़क मार्ग होते हुए नानौता स्थित उनके घर तक लाया गया।
जैसे ही मलखान सिंह का शव गांव में पहुंचा, वहां हजारों लोगों का हुजूम इकट्ठा हो गया। सभी के आंखों से आंसू छलक रहे थे।ग्रामीणों ने कई किलोमीटर पहले पहुंचकर उनके शव को आने का इंतजार करना शुरू कर दिया था। वहां हजारों लोगों का हुजूम रास्ते में हाईवे पर, सेना के काफिले का देश भक्ति का नारा लगाते हुए शहीद के लौट कर आने पर नम आंखों से स्वागत किया।
हजारों लोगों के हुजूम के बीच उनके शव की यात्रा गांव पहुंची। गांव पहुंचने पर रविदास मंदिर में उनका पार्थिव शरीर रखा गया।वहां उनके परिजनों और हजारों लोगों के हुजूम ने उनके अंतिम दर्शन किए।उनको सैन्य सम्मान देने के बाद शाम साढ़े पांच बजे के करीब भीगी आंखों से उनके शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया।उनके शव को मुखाग्नि उनके पौत्र गौतम ने दी।
मलखान सिंह के पार्थिव शरीर को कैराना की सांसद इकरा हसन,बीजेपी के जिला अध्यक्ष महेंद्र सैनी,गंगोह से विधायक कीरत सिंह सहित,अन्य जन प्रतिनिधियों और लोगों ने उनकी समाधि स्थल पहुंचकर भीगी आंखों से उनको श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
शाहिद मलखान की पत्नी ने 32 साल इंतजार कर दम तोड़ दिया
शहीद मलखान के सबसे छोटे भाई जिनकी आयु अब 65 वर्ष की हो चुकी है।उन्होंने कहा कि परिवार में मलखान की पत्नी एवं उनका नवजात बेटा था।पत्नी ने 32 साल तक इसी बात की प्रतीक्षा की कि उनके पति कभी तो लौटेंगे,और इसी प्रतीक्षा में सन 2000 के लगभग उनकी मृत्यु हो गई।यदि 25 साल पहले ही शहीद का शव मिल जाता तो उन्हें भी शांति प्राप्त होती।उनको खोजने के लिए परिवार ने हर संभव प्रयास किया।
बरसों की खोज के बाद सभी ने हिम्मत हार दी, और इससे समझौता कर लिया कि वह अब कभी नहीं लौटेंगे। इसी के बाद उनके पत्नी की शादी उनके छोटे भाई चंद्रपाल सिंह से करवा दी गई। उन्होंने कहा कि मलखान के इकलौते बेटे के दो पुत्र और तीन बेटियां हुई हैं।उनके पुत्र की भी 2010 में मृत्यु हो गई थी।जबकि मलखान के माता-पिता उनकी पत्नी और बेटे को उनके लौटकर आने की आशा में उनकी भी मौत हो गई।लेकिन वह नहीं आए।
शहीद के दर्जा के लिए ग्रामीणों ने हंगामा किया
शहीद वायु सैनिक के अंतिम संस्कार से पहले उनको शहीद का दर्जा देने की खातिर ग्रामीणों ने जोरदार हंगामा किया।इस पर सेना के जवानों ने गांव के लोगों से बताया कि उनको शहीद का दर्जा मिला है।इस पर ग्रामीणों ने कहा कि उनको यह लिखित में दिया जाए।फिर गणमान्य लोगों के हस्तक्षेप करने पर उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को शुरू किया गया।
गांव से लेकर हाइवे तक शहीद के सम्मान में खड़े हो गए थे ग्रामीण
शहीद हुए मलखान सिंह के सम्मान में बहुत सुबह ही दिल्ली यमुनोत्री हाइवे पर क्षेत्र के हजारों ग्रामीण वहां खड़े हो गए थे। ट्रैक्टर ट्राली पर डीजे की धुन बजाई जा रही थी।ग्रामीणों में बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक हर कोई अपने-अपने घरों से बाहर हो गया था।
जैसे ही वायु सैनिक उनके शव को लेकर गांव आये।वहां देश भक्ति के नारों की गूंज हो रही थी।हजारों के मुंह से एक ही स्वर निकल रहा था जब तक सूरज चांद रहेगा यहां मलखान तेरा नाम रहेगा।इन नारों से हाइवे से लेकर गांव की संड़कें गूंजायमान हो उठीं। हाईवे से लेकर गांव की सड़कों को गुब्बारों से सजा दिया गया था।
ट्रैक्टर ट्रालियों पर डीजे की धुन बज रही थी। दोपहर करीब डेढ़ बजे जब उनका शव गांव पहुंचा। हजारों लोगों के हुजूम ने उनको भीगी आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित की।जबकि सेना के अधिकारियों और जवानों ने मलखान सिंह को गार्ड ऑफ ऑनर देकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।सेना में कर्नल लवदीप यादव,और उनकी बटालियन के नायक सूबेदार भूपेंद्र सिंह उनके अंतिम संस्कार में शामिल रहे। मलखान सिंह दिल्ली बटालियन से हैं।फतेहपुर गांव में मलखान सिंह का राजकीय सम्मान देते हुए अंतिम संस्कार किया गया।
56 वर्षों बाद मिला शव फिर भी 23 साल जैसे दिख रहे थे मलखान सिंह
वायु सैनिक का शव 56 साल बाद भी 23 साल जैसे ही था।बर्फ में दबे होने के कारण उनके शव को बहुत मामूली नुकसान ही हुआ था। उनके समय के लोगों को वह आज भी 56 साल होने के बाद भी 23 साल जैसे मलखान सिंह दिखाई पड़ रहे थे।सभी ग्रामीणों ने उनके दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
यह भी पढ़ें : दीपावली में युवती की बारात आने वाली थी मंगेतर से कमरे में बात की और फंदे से लटक गई
YOU MOST READ
1 फीस जमा न हुई तो छात्रों को धूप में बैठा दिया बच्चों ने असहज होकर अपना चेहरा छुपाया
2 चोर ने माफी मांगी और वापस कर दी राधा कृष्ण की चुराई गई मूर्ति लिखा बेटा बीमार हो गया है
3 2000 करोड़ से ज्यादा कीमत की 500 किलो से अधिक ड्रग्स दिल्ली पुलिस ने बरामद की
4 लुलु मॉल से स्कूटी पर निकली युवती का बाइक से पीछा कर युवकों ने गाड़ी रोककर की अश्लीलता
5 1801 मुख्यमंत्री आवास दीपावली में दिए जाएंगे गांधी जयंती पर डीएम मोनिका रानी बोलीं