- कलाग्राम में कैलाश खेर के गीतों की गूंज, मंच के सामने दर्शक सेल्फी लेते हुए खूब झूमे
विजय कुमार पटेल : प्रयागराज। महाकुंभ के अवसर पर संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कुंभ में रविवार को सुरों की अनोखी शाम सजी। मशहूर गायक पद्मश्री कैलाश खेर ने अपने गीतों से ऐसा समां बांधा कि हजारों दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। कलाग्राम में सुरों की गूंज दूर-दूर तक सुनाई दी और लोगों ने झूमते हुए उनके गीतों का आनंद लिया।
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शिव तांडव से हुई शानदार शुरुआत
मंच पर आते ही कैलाश खेर ने सबसे पहले मां गंगे को प्रणाम किया और अपने कार्यक्रम की शुरुआत ‘शिव तांडव स्तोत्र’ से की। उनकी दमदार आवाज़ में ‘जटाटवी गलज्जलज प्रवाह पावितस्थले…’ गूंजते ही दर्शकों में भक्ति और जोश की लहर दौड़ गई। इसके बाद उन्होंने ‘हे री सखी मंगल गावो री, आज मेरे पिया घर आवेंगे’ गाकर माहौल को और भी जीवंत बना दिया।
सुपरहिट गीतों पर रह-रह कर झूमे दर्शक
कैलाश खेर ने एक के बाद एक अपने सुपरहिट गीतों की प्रस्तुति देकर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने ‘कौन है वो कहां से आया…’, ‘जाणा जोगी दे नाल…’, ‘आओ जी आवो जी’ जैसे गीतों से समां बांधा।
उनका लोकप्रिय गाना ‘तेरे नाम से जी लूं, तेरे नाम से मर जाऊं’ सुनकर दर्शक झूम उठे। जैसे ही उन्होंने ‘शिव शम्भो शिव शम्भो’ गाया, दर्शक तालियों और जयकारों से उत्साहित हो उठे। मंच के पास मौजूद लोग तो नाचते हुए अपने मोबाइल से सेल्फी लेने लगे।
डमरू के साथ ‘बगड़ बम बम’ पर झूमा मंच
कार्यक्रम के दौरान कैलाश खेर ने हाथों में डमरू लेकर जब अपना मशहूर गीत ‘बगड़ बम बम’ गाया, तो पूरा माहौल शिवमय हो गया। ऐसा प्रतीत हुआ मानो शिवरात्रि से पहले ही श्रद्धालु भक्ति में डूब चुके हों। इसके अलावा, उन्होंने ‘मैं तो तेरे प्यार में दीवाना हो गया’, ‘दिलरुबा ये बता क्या करूं तेरे सिवा…’जैसे गीतों से कार्यक्रम में रोमांच भर दिया।
भक्ति से भरपूर भजन और नृत्य प्रस्तुतियां
कार्यक्रम की शुरुआत भटींडा से आई दीपिका श्रीवास्तव के भजन गायन से हुई। उन्होंने ‘हमरी अटरिया पे आजा रे सावरिया…’ और ‘लोग से न कहिए ये बात…’ जैसे भजन प्रस्तुत कर तालियां बटोरीं। इसके बाद सुनयना और शिवानी ने रामकथा पर आधारित कथक नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी।
लोकनृत्यों ने मोहा मन
सांस्कृतिक कुंभ में विभिन्न राज्यों के लोकनृत्य भी प्रस्तुत किए गए, जिन्होंने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इनमें हरियाणा का लोकनृत्य, उत्तराखंड का गढ़वाल नृत्य, कर्नाटक का ढोलू कुनिथा नृत्य, तेलंगाना का चिन्धु यक्षगान, और असम का मुखा भाऊना नृत्य शामिल रहा।
कलाग्राम में कैलाश खेर और अन्य कलाकारों की प्रस्तुतियों ने सांस्कृतिक कुंभ को ऐतिहासिक बना दिया। संगीत, भक्ति और नृत्य की इस अनूठी प्रस्तुति ने महाकुंभ में श्रद्धालुओं के अनुभव को और भी यादगार बना दिया।
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