दिवाली पर योगी मोदी का किसानों को तोहफा धान खरीद समर्थन मूल्य में 117 की बढ़ोतरी कर दी 

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों को दीपावली से पहले बड़ा तोहफा देते हुए पिछले वर्ष की तुलना में धान खरीद का नया समर्थन मूल्य 117 रुपए बढ़ा दिया है। वहीं बटाईदारों को भी अपना धान बेचने की स्वीकृति प्रदान की है।

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           अनिल बाजपेयी 

सीईओ फाउंडर एंड ग्रुप एडिटर 

दिवाली पर योगी मोदी का किसानों को तोहफा धान खरीद समर्थन मूल्य में 117 की बढ़ोतरी कर दी 

Yogi Modi’s gift to farmers on Diwali, paddy purchase support price increased by 117%. Vishva Bharti : Editor Pic : UP : Lucknow Desk : Bahraich : यूपी के बहराइच में जिला सूचना अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए किसानों का हित सर्वोपरि है उन्होंने विश्व भारती न्यूज़ पोर्टल को दी अपनी जानकारी में बताया कि योगी सरकार पिछले वर्ष की तुलना में इस नए वर्ष 2024 में खरीफ की फसल के लिए धान खरीद का समर्थन मूल्य 117 रुपए बढ़ाकर किसानों को दीपावली पर एक बड़ा तोहफा दिया है तो बटाईदार भी अब अपना धान सरकारी क्रय केंद्रों पर बेच सकेंगे।

दिवाली पर योगी मोदी का किसानों को तोहफा धान खरीद समर्थन मूल्य में 117 की बढ़ोतरी कर दी 

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी की सरकार ने दीपावली से पहले किसानों को एक बड़ा तोहफा देते हुए,पिछले वर्ष की तुलना में इस नए वर्ष 2024 -25 में खरीफ की फसल के लिए समर्थन मूल्य योजना के तहत,धान का खरीद समर्थन मूल्य 117 रुपए बढ़ा क़र अपनी नई समर्थन नीति को मंजूरी दे दी है।

योगी की किसानों के लिए दीपावली के तोहफे के रूप में खरीफ की फसल धान खरीद योजना समर्थन नीति में,सामान्य धान का समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2,300 रुपए प्रति कुंतल,और ग्रेड ए धान के लिए नया समर्थन मूल्य 2,320 रुपए प्रति कुंतल तय किया गया है। इस नए समर्थन मूल्य में 117 रुपए प्रति कुंतल की दर से पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ोतरी की गई है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी वह मानक है जिसे सलाहकार संकेत मूल्य के रूप में,पूरे भारत के सभी क्षेत्रों में किसानों के हितों की सुरक्षा के लिए,भारत की सरकार प्रतिवर्ष निर्धारित करती है।इसी नीति से देश के सभी किसानों का हित सुरक्षित होता है।यह नीति देश के सभी राज्यों में अनौपचारिक रूप से लागू रहती है,और समर्थन मूल्य से अलग होती है।जो देश के सभी राज्यों में वहां की सरकारों के द्वारा अनुशंसित है।

देश और प्रदेश की सरकारें कृषि उपज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देकर किसानों के हितों की सुरक्षा करती हैं। जिससे कि मूल्य घटने पर भी न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में किसानों को उनकी फसल के उपज पर एक निश्चित आय होती रहे।

मोदी और योगी सरकार का पहला लक्ष्य किसानों और देश के लोगों की खाद्य सुरक्षा

देश की मोदी और यूपी की योगी सरकार देश में सभी लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए अपनी अपनी तरफ से देश के किसानों को अलग-अलग सुरक्षा प्रदान करती हैं।इस तरह केंद्र और प्रदेश के डबल इंजन की मोदी और योगी सरकार की संयुक्त नीति मे, किसानों के हितों को सबसे ऊपर रखते हुए दीपावली पर यूपी वासियों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी मे बड़ी बढ़ोत्तरी कर दी है।

एमएसपी के बनने की कहानी

1960 दशक की शुरुआत में कृषि भूमि की उपज को बढ़ाने के लक्ष्य को पूरा करने,और किसानों को नई प्रौद्योगिकी का लाभ मिले इस नीति की सफलता को सुनिश्चित करने के लिए, उस समय की देश की सरकार किसानों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एमएसपी की योजना लेकर आई थी।

वर्ष 2000 के दशक से न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना को सरकार के द्वारा बाजार पर हस्तक्षेप करके,किसानों की आमदनी बनाए रखने की योजना के रूप में देखा जाने लगा है। इस तरह की मूल्य नीतियां अलग-अलग राज्यों में और अलग-अलग वस्तुओं के बीच अलग-अलग होती हैं।मोदी और योगी की सरकार का लक्ष्य है एमएसपी के बारे में संपूर्ण जानकारी किसानों को मिल सके,और वह इसके बारे में जागरूक हो सकें।

न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के तहत भारत की सरकार प्रत्येक वर्ष साल में दो बार दो दर्जन से अधिक कृषि उपज का समर्थन मूल्य निर्धारण करती है। इसके लिए समर्थन मूल्य (एमएसपी) कृषि लागत,और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की कमेटी की सिफारिश पर उसी के अनुसार निर्धारित किया जाता है। इसे कृषि मंत्रालय के तहत संचालित किया जाता है।यहां मूल्य निर्धारण नीति के लिए एक शीर्ष सलाहकार निकाय बनाया गया है।

सीएसीपी ने मूल्य निर्धारण के लिए कुछ मानक बनाए हुए हैं।उनमे राष्ट्रीय आवश्यकता, किसान,संसाधनों,मजदूरी,जीवन यापन की लागत एवं उत्पाद प्रतिस्पर्धात्मकता सहित विभिन्न कारकों को ध्यान में रखते हुए,मानकों का कड़ाई से पालन करते हुए फसल की उपज के मूल्य का निर्धारण करने की सिफारिश करता है

वैसे कभी-कभी ऐसा भी होता है कि सीएसीपी द्वारा अनुशंसित की गई कीमतों,और सरकार से अनुशंसित हुई कीमतों में उनके बीच बड़े असमान अंतर भी देखने को मिलते हैं।भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) दोनों को सरकार ने राज्य स्तर पर एमएसपी लागू करने में शामिल कर रखा है।

एमएसपी से जहां एक तरफ किसानों को समर्थन मूल्य सरकार से मिलता है।तो वहीं एमएसपी से सार्वजनिक वितरण प्रणाली को भी इससे सुरक्षा मिलती है।जिसके माध्यम से सरकार आम लोगों को सस्ते दाम पर सरकारी अनाज प्रदान करती है।जिससे लोगों को सस्ते दाम पर खाद्य सुरक्षा प्राप्त होती है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य वह मूल्य है जिससे कम दाम पर किसान से सीधे कृषि उपज (जैसे गेहूँ धान आदि) कोई नहीं खरीद सकता। कृषि उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य और फसल की श्रेणी का निर्धारण भारत सरकार करती है।

योगी की उत्तर प्रदेश सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर,इस वर्ष बड़ी मात्रा में किसानों से धान की खरीदारी की है।इससे बड़ी संख्या में यूपी के किसानों को इसका उचित मूल्य का लाभ मिल रहा है।किसानों को अपने धान की बिक्री के लिए खादी एवं रसद विभाग की वेबसाइट पर एफसीएस डाट यूपी डाट जीओवी डाट इन fcs.up.gov. in या,विभाग के मोबाइल एप यूपी किसान मित्र पर पहले से पंजीकरण कराए रखना अनिवार्य है।यूपी की सरकार प्रदेश में पंजीकृत किसानों से ही धान की खरीदारी करती है।

किसानों को सरकारी केदो पर अपना धान बेचने के लिए अपना बैंक अकाउंट,आधार सीडेड (बैंक खाता आधार कार्ड से जुड़ा हो) और बैंक द्वारा एनपीसीआई पोर्टल पर मैप मे होना,और उसका सक्रिय होना जरूरी है। सरकार किसानों से जो धान क्रय करती है। उसके मूल्य का भुगतान पीएफएमएस के जरिए किसानों के आधार लिंकड बैंक खाते में सीधे भेज रहीहै।वर्ष 2024 25 में कामन धान मूल्य 2300 रूपये प्रति कुंतल,और ग्रेड-ए धान का 2320 रूपये प्रति कुन्तल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर,यूपी सरकार किसानों से खरीदारी कर रही है।

यूपी की योगी सरकार ने इस बार बटाई पर खेती कर रहे किसानों का भी विशेष ख्याल रखा है।इनको भी अपने रजिस्ट्रेशन का पंजीकरण और नवीनीकरण कराने,क्रय केंद्रो पर बटाईदारों को धान बेचने की स्वीकृति प्रदान कर दी गई है।

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