बुलंदशहर के प्रधान डाकघर अधीक्षक ने राइफल से सीने में गोली मारकर आत्महत्या कर ली
“Bulandshahr’s Head Post Office Superintendent committed suicide by shooting himself in the chest with a rifle. Vishva Bharti : Himanshu Sharma : Aliagadhh : यूपी के बुलंदशहर मे प्रधान डाकघर के अधीक्षक त्रिभुवन प्रसाद सिंह उर्फ टीपी सिंह अपनी ही राइफल से सीने में गोली मार कर आत्महत्या कर लेंगे इसकी भनक उनके साथी स्टाफ से लेकर परिवार के किसी सदस्य को नहीं थी।उनकी पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल है। कि जिस संदूक में राइफल रखी थी उसकी चाभी का पता उन्होंने उनसे ही पूछा था।अगर उनको इस बात का संदेह होता तो वह उन्हें जीवन में कभी चाभी का पता नहीं बताती। जिसमें राइफल रखी थी।उनकी पत्नी को घटना होने के बाद में ही इसकी जानकारी मिली कि उनके पति ने जिस संदूक में राइफल रखी थी उसकी चाबी का पता क्यों पूछा था
बुलंदशहर के प्रधान डाकघर अधीक्षक ने राइफल से सीने में गोली मारकर आत्महत्या कर ली
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बुलंदशहर के प्रधान डाकघर अधीक्षकने राइफल से सीने में गोली मारकर आत्महत्या कर ली। उनके छोटे भाई जो अधिवक्ता भी हैं।उन्होंने बताया कि परिवार हंसी-खुशी से भरपूर था।करीब रात 11 बजे टीपी सिंह ने अपने छोटे भाई से फोन करके बात की थी।उन्होंने व्हाट्सएप कॉल पर बात करते हुए उनका हाल-चाल पूछा और एक प्रॉपर्टी के बैनामे का उल्लेख किया।इस पर उनके छोटे भाई ने उनसे कहा कि अचानक आपको क्या हो गया है।
अलीगढ़ के अकरावत गांव के रहने वाले राजवीर सिंह स्वयं सेवानिवृत्ति एपीएम रहे हैं। उनके चार बेटे जिनमे टीपी सिंह सबसे बड़े थे। बुलंदशहर में पोस्टिंग से पहले वह उन्नाव कन्नौज आदि जनपदों में तैनात रहे हैं।वही राजवीर सिंह के दूसरे नंबर के बेटे प्रेम सिंह गांव में ही विद्यालय चलाते हैं।जबकि तीसरे नंबर के बेटे रामवीर सिंह अधिवक्ता हैं और तहसील में प्रैक्टिस कर रहे हैं।जबकि सबसे छोटे बेटे मैनपुरी में सरकारी सेवा में कार्यरत हैं।
त्रिभुवन प्रसाद सिंह उर्फ टीपी सिंह ने बच्चों की पढ़ाई लिखाई के लिए सुरक्षा विहार कॉलोनी में अपना मकान बनवाया था।यहीं पर उनकी शिक्षामित्र पत्नी अपने स्कूल जाती हैं। और बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए बाहर रह रहे हैं।टीपी सिंह की मां का 30 मई को गांव के घर में कूलर से करंट लगने के कारण मृत्यु हो गई थी।
टीपी सिंह के सुरक्षा विहार कॉलोनी वाले घर पर उनकी पत्नी, बेटे और दुखी पिता एवं पोस्टमार्टम हाउस पर उनके अधिवक्ता छोटे भाई ने कहा कि परिवार में सब हंसी खुशी से थे। रात करीब 11 बजे टीपी सिंह ने अपने छोटे भाई को व्हाट्सएप कॉल की थी और हाल-चाल पूछा था।इसके अलावा किसी प्रॉपर्टी के बैनामा का जिक्र भी किया था। छोटे भाई ने यह भी बताया कि,उन्होंने उनसे कहा कि अचानक आपको क्या हो गया है।क्या कोई बात है।ऐसा क्यों पूछ रहे हो।लेकिन टीपी सिंह ने इसका कोई उत्तर नहीं दिया।
टीपी सिंह जब घर आए तो,अपनी पत्नी से खाना बनने की बात पूछी।उनसे समय से स्कूल जाने की बात कही। इसके कुछ देर बाद पत्नी से फोन पर ही पूछा कि जिस संदूक में राइफल रखी है।उसकी चाबी कहां है।उनकी पत्नी ने भी बिना किसी विचार किये चाभी का पता बता दिया।राइफल बहुत समय से चलाई नहीं गई थी लेकिन उसी राइफल ने टीपी सिंह की जान ले ली। उनकी यह राइफल पैत्रिक निवास के पते पर टीपी सिंह के नाम से ही दर्ज थी। अपने नाम के ही लाइसेंस पर खुद उन्होंने ही उसको खरीदी थी।
टीपी सिंह के आत्महत्या का सुसाइड नोट वायरल होने के बाद उनके साथियों ने पहले उनको फोन मिलाया लेकिन फोन न मिलने पर उनके एक साथी ने उनके पिता को फोन मिलाया और उनकी पत्नी से बात की।इसके बाद सभी परिवार के लोग सुरक्षा बिहार वाले घर पहुंचे।लेकिन वहां दरवाजा अंदर से बंद था। इस कारण से पुलिस को बुलाकर,दरवाजा खोला गया। इसके बाद उनकी राइफल से गोली मारकर आत्महत्या की बात सभी को पता चल सकी।दोपहर में उनका पोस्टमार्टम हुआ और शव को गांव पर लाकर शाम को उनका अंतिम संस्कार किया गया।
यह सारा घटनाक्रम इस तरह से घटित हुआ। रात 11 बजे तक सीबीआई उनसे पूछताछ करती रही। इसके बाद टीपी सिंह कमरे पर पहुंचे। सुबह पांच बजे अचानक मकान स्वामी को बिना बताए बाहर निकले।सुबह छः बजे अपने घर पहुंच कर अपनी पत्नी से बातचीत किया।इसके बाद प्रातः सात बजे अपनी पत्नी को समय से स्कूल जाने की बात बोलकर उन्हें स्कूल भेजा। फिर सुबह 7:40 पर व्हाट्सएप ग्रुप पर सुसाइड नोट लिखकर उसे वायरल किया।इसके बाद सुबह करीब आठ बजे उनके साथियों ने फोन मिलना शुरू कर दिया।उनका फोन नहीं मिला।इसके पश्चात प्रातः 9:15 बजे पुलिस को इस घटना की जानकारी दी गई और पुलिस वहां पहुंच गई। इस तरह मामला सामने आया।
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