आईएमएस बीएचयू की जांच में बड़ा खुलासा कोवैक्सीन पर शोध अधूरा पाया गया
प्रारंभिक जांच में शोध पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। सूत्रों के अनुसार कमेटी ने पाया शोध में आवश्यक मानकों का ख्याल बिल्कुल नहीं रखा गया।इसमें एंटीबॉडी टेस्ट किया ही नहीं गया।कोवैक्सीन लगवाने वालों से केवल मोबाइल फोन से होने वाले नुकसान पूछ लिए गए। यह शोध की गुणवत्ता के लिए अच्छा नहीं है।
आईएमएस बीएचयू की जांच में बड़ा खुलासा कोवैक्सीन पर शोध अधूरा पाया गया
कोवैक्सीन के शोध में सभी मानकों का ख्याल नहीं रखा गया
कोवैक्सीन के शोध की की जांच में कुछ कमियां पाई गई हैं आईएमएस बीएचयू निदेशक प्रो एसएन संखवार
“Big revelation in the investigation of IMS BHU, research on Covaxin was found incomplete.Vishva Bharti : Akhilesh Rai : Varanashi : इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आईएमएस) बीएचयू के प्रोफेसर एवं जीरियाट्रिक विभाग मे अध्यक्ष प्रो एसएस चक्रवर्ती ने कोवैक्सीन पर जो शोध किया था उस पर सवाल खड़े हो गए हैं। बीएचयू की चार सदस्यीय जांच कमेटी ने अपनी प्रारंभिक जांच में शोध को आधा अधूरा पाया है।कमेटी ने जांच के बाद पाया कि शोध में निर्धारित मानकों का बिल्कुल ख्याल नहीं रखा गया है। कमेटी अपनी रिपोर्ट से आई एम एस के निदेशक को जल्द ही अवगत करा देगी।
आईएमएस बीएचयू की जांच में बड़ा खुलासा कोवैक्सीन पर शोध अधूरा पाया गया
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आईएमएस बीएचयू की जांच में कोवैक्सीन पर शोध अधूरा पाया गया। विभागाध्यक्ष ने कोवैक्सीन पर हुए शोध और उसके दुष्प्रभाव का पेपर प्रकाशित कर दिया। इसमें 10 से अधिक विभागों को सम्मिलित करके बताया कि जिन किशोरों ने कोवैक्सीन लगवाई थी उनके बाल झड़ रहे हैं।त्वचा रोग होने की शिकायत भी मिली है। जैसे ही यह शोध सामने आया आईएमएस बीएचयू प्रशासन की तरफ से ऐसे किसी आधिकारिक शोध से इनकार कर दिया गया। निदेशक प्रो एसएन संखवार ने तत्काल चार सदस्यीय जांच कमेटी डीन रिसर्च प्रोफेसर गोपाल नाथ की अगुवाई में गठित कर दी।
कोवैक्सीन के दुष्प्रभाव पड़ने वाले शोध में, स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग,जीरियाट्रिक मेडिसिन,और आईएमएस बीएचयू से,दस विभागों का उल्लेख है,शोध कार्य पूरा कर लेने के बाद,उसके रिसर्च जर्नल्स,30 मई 2022 को,प्रकाशन के लिए,संबंधित संस्था में,रिसीव कराया गया।
17 जुलाई 2022 को,उसे स्वीकार कर लिया गया।वही 20 जुलाई को, इसका प्रकाशन हो गया।शोध रिपोर्ट में,कोवैक्सीन के दुष्प्रभाव, पड़ने वाली सूचना,जैसे ही आईएमएस बीएचयू के निदेशक को हुई।उन्होंने इसके सच्चाई की जाँच, कराने का निर्णय ले लिया।
शोध रिपोर्ट प्रकाशित करने के समय पर,सवाल उठाए गए हैं।
लोकसभा चुनाव होने के दौरान,कोवैक्सीन की शोध रिपोर्ट प्रकाशित करके,उसे सार्वजनिक किए जाने पर,सवाल उठ खड़े हुए हैं। आईएमएस बीएचयू के चिकित्सकों ने कहा कि, यह शोध पुराना है।यह जानते हुए भी, चुनाव के समय,इसे मीडिया को, क्यों दे दिया गया। इसकी जांच होनी चाहिए।आधी-अधूरी रिपोर्ट को,सार्वजनिक कर देना,सही मंशा से, किया गया कार्य नहीं लगता।
इस शोध की रिपोर्ट,जब जुलाई 2022 में, प्रकाशित हुई थी, तो वर्तमान समय में,दुष्प्रभाव वाली बात,कहां से सामने आ गई।इस तरह के कार्यों से,आईएमएस बीएचयू की छवि पर, प्रतिकूल प्रभाव,पड़ने की संभावना है।
कोवैक्सीन पर किए गए शोध में,सवाल खड़ा होने पर,उसकी जांच कराई जा चुकी है।अभी तक जांच रिपोर्ट में,कुछ कमियां होने की, जानकारी सामने आई है। जब रिपोर्ट मिल जाएगी,उसके बाद अगली कार्रवाई की जाएगी। आईएमएस के तहत कार्य कर रहे, सभी विभागों को,संपूर्ण तथ्यों के साथ शोध करके,उसे प्रकाशित करने का सुझाव दिया जाएगा। संस्थान की छवि पर,इससे अच्छा प्रभाव बनेगा।आईएमएस बीएचयू,निदेशक,प्रो.एसएन संखवार।
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