- यूपी विधानसभा में गूंजी भोजपुरी की मिठास, बांसडीह विधायक केतकी सिंह ने ठेठ भोजपुरी में रखी अपनी बात
आयुष पाण्डेय : लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में इस बार एक अलग ही रंग देखने को मिला। जब बांसडीह से भाजपा विधायक केतकी सिंह ने ठेठ भोजपुरी में अपनी बात रखी, तो पूरा सदन झूम उठा। उनकी मिठास भरी भोजपुरी ने न सिर्फ सत्ता पक्ष बल्कि विपक्ष के नेताओं को भी मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया। भोजपुरी में दिए गए उनके संबोधन की चर्चा पूरे सदन में रही।
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भोजपुरी में गूंजा सदन, माहौल बना खुशनुमा
उत्तर प्रदेश विधानसभा में आमतौर पर हिंदी और अंग्रेजी में बहसें होती हैं, लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ। बजट सत्र के दौरान विधायकों को क्षेत्रीय भाषाओं में बोलने का अवसर दिया गया। इसी कड़ी में जब बांसडीह विधायक केतकी सिंह को मौका मिला, तो उन्होंने अपनी बात भोजपुरी में रखी। उन्होंने भोजपुरी की लोकप्रियता और इसकी मिठास को पूरे सदन के सामने रखा।
उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत भोजपुरी की मशहूर पंक्तियों से की “जवने असिसिया मईया मलिनी के दिहलू कि उहे असिसिया हमरा जोगी भईया के दी… हमरा अध्यक्षों भईया के दी।” उनकी इस भावनात्मक अपील ने सदन में एक अलग ही माहौल बना दिया।
विपक्ष को भी दिया करारा जवाब
केतकी सिंह ने अपने भाषण में जहां भोजपुरी की मिठास घोली, वहीं विरोधियों को भी करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा “भोजपुरी इतनी प्यारी भाषा है कि इसका विरोध तो छोड़िए, हमें लग रहा था कि विपक्ष आपको गले लगा लेगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि यूपी की माटी से निकली यह भाषा पूरे विश्व में बोली जाती है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने विरोध करने वालों को चुप रहने और शांति पूर्वक सुनने की भी नसीहत दी और कहा “जे ना सुनल चाहे ऊ चुपचाप घर जाऊ। जे सुनल चाहे उ बस बटन दबा लेऊ। गर्दन पर तलवार नइखे राखल।” उनकी बातों पर पूरा सदन ठहाकों से गूंज उठा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य नेता भी मुस्कुराए
उनके भोजपुरी भाषण को सुनकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, वित्त मंत्री सुरेश खन्ना समेत तमाम नेता मुस्कुरा उठे। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने भी चुटकी लेते हुए कहा “गले लगा नहीं रहे हैं, वो गले पड़ रहे हैं।” इस पर पूरा सदन हंस पड़ा और माहौल हल्का-फुल्का हो गया।
भोजपुरी को मिला सम्मान
इस पूरे वाकये के बाद यह साफ हो गया कि यूपी की क्षेत्रीय भाषाओं को अब मुख्यधारा में लाने का प्रयास हो रहा है। भोजपुरी, अवधी, बुंदेली जैसी भाषाओं को सम्मान मिलने से क्षेत्रीय बोली-भाषाओं को और बढ़ावा मिलेगा।
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